21.2.11

शिर्डी के साईं सन्देश

"जिसने नाम, रूप आदि बाधओं को त्याग दिया हो और विशुद्ध ईशवर की अनुभूति प्राप्त कर ली हो, वह सिद्ध है, जो माया से नहीं बँधता और सदा आत्मलीन रहता है" I