16.2.11

शिर्डी के साईं सन्देश

"द्वैतवाद की स्थापना करने वाली बुद्धि वास्तव में अविद्या होती हैI गुरु के संपर्क में आने के पशचात्त चित्तशुद्धि होती है I उसी के कारण आत्मानुभूति (स्वारुपस्थिति) की स्थिति की प्राप्ति होती है"I