14.2.11

शिर्डी के साईं सन्देश

'ब्रह्म' या 'सत्तत्व' जो इस पिंडी (हमारे शारीर) में है, वही अखिल ब्रह्माण्ड में भी व्याप्त है I यह सदेव स्मरण रखो और अपना समस्त शरीर ईशवर कि सेवा में लगा दो I