31.1.11

Shirdi ke Sai ka Sandesh

"यदि गुरु से प्रेम करोगे तो ज्ञान बढेगा,

प्रभु से प्रेम करने पर श्रधा और विश्वास बढेगा,

दीन- हीनो से प्रेम करने पर दया उत्पन्न होगी,

साईं भक्तो से प्रेम करने पर साईं जी से निकटता बढेगी"

29.1.11

Shirdi ke Sai ka Sandesh

"साईं दर्शन के विचार से मनुष्य में सकरात्मक परिवर्तन आता है व पूर्व कर्मो के दुष्पर्भाव मंद पड़ने लगते है!"

28.1.11

Shirdi ke Sai ka Sandesh


"चातुर्य त्याग कर सदैव 'साईं साईं' स्मरण करो I इस प्रकार आचरण करने से समस्त बन्धन छूट जाएँगे और तुम्हे मुक्ति प्राप्त हो जाएगी"I

27.1.11

Shirdi ke Sai ka Sandesh

"कोई भी उत्तम और आवश्यक कार्य करते वक़्त सवय:
को कर्ता न मानकर अभिमान शुन्य होकर ही कर्म करो"

25.1.11

शिर्डी के साईं सन्देश

"श्रद्धा तो ऐसी अनुभूति है जो मनुष्य के अंतःकरण से उत्त्पन्न होती है"

23.1.11

शिर्डी के साईं का सन्देश

"मृत्यु को  सदैव  स्मरण रखो I आखिर यह देह तो मृत्यु का चारा ही है I  सांसारिक जीवन के यही लक्ष्ण हैं I इसलिए सावधान रहो"I

22.1.11

शिर्डी के साईं का सन्देश

"जिन भक्तों ने भी श्रद्धा और विशवास के साथ साईं के चरणों में समर्पण किया उन्होंने साईं के दर्शन करते हुए, उनमें ही अपने गुरु के दर्शन भी किए I सभी ने एक न एक प्रकार से इसका अनुभव किया ; परन्तु सभी का अपने ही गुरु के प्रति भक्ति और विशवास दृढ़ हुआ" I

21.1.11

शिर्डी के साईं का सन्देश

"जिसने इस संसार में अपनी आध्यात्मिक उन्नत्ति को प्राप्त नहीं किया, उसने  व्यर्थ ही  अपनी माँ को प्रसव पीड़ा का कष्ट दिया है I जब तक वह स्वयं को संतो के चरणों में समर्पित नहीं करेगा, तब तक उसका जीवन व्यर्थ है" I

20.1.11

शिर्डी के साईं का सन्देश

"सबसे अनमोल मानव शरीर है क्योंकि यह कर्म करने में सर्वथा सक्षम है"

19.1.11

शिर्डी के साईं का सन्देश

बाबा कहते है - "मुझ पर पूर्ण विश्वास रखो बस एक बार खुद को मेरे हाथो मे सौप दो फिर तुमको चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है"

18.1.11

शिर्डी के साईं सन्देश

"साईं इतने दयालु है कि पतितो को भी शिर्डी कि पावन भूमि पर बुला कर  पावन कर देते है."

Sri Yogananda Paramahansa

सत्य को जीना चाहिए, इसे जीवन के एक अंग के रूप में
पहचाना जाना चाहिए| अन्य तारों की अपेक्षा एक चन्द्रमा
इस संसार को अधिक प्रकाशित करता है – इसी प्रकार सत्य
ही वास्तविक रूप में व्यक्ति में सुधार करता है| धर्म के असली
उद्देश्य - ईश्वरीय ज्ञान से अपने को कभी विमुख मत करो|

14.1.11

शिर्डी के साईं का सन्देश

"इश्वर की कृपा गत जन्मों के शुभ कर्मों के बिना संभव नहीं"

13.1.11

12.1.11

श्री साईं सच्चरित्र संदेश,

"न्याय अथवा मीमांसा या दर्शनशास्त्र पड़ने की भी कोई आवश्यकता नहीं है I जिस प्रकार नदी या समुन्दर पार  करते समय नाविक पर विशवास रखते हैं, उसी प्रकार का विशवास हमें भवसागर से पार होने के लिये सदगुरु पर करना चाहिए" I

6.1.11

श्री साईं सच्चरित्र संदेश,

मानव जन्म का महत्व कितना महान है! केवल इसी के द्वारा ईशवर पूजन और भगवदभक्ति और चार प्रकार की मुक्ति की प्राप्ति संभव है I केवल इसके द्वारा ही आत्मनुभूती होगी I

5.1.11

श्री साईं सच्चरित्र संदेश,

"जैसी भक्त कि निष्ठा और भाव होता है, बाबा उसी प्रकार उनकी सहायता करते हैं I कभी कभी तो बाबा भक्त की कठिन परीक्षा लेकर ही उसे उपदेश दिया करते हैं" I

4.1.11

पिछले जन्मों के शुभ कर्मो से ही यह देह कि प्राप्ति हुई है और उसकी सार्थकता तभी है, जब उसकी सहायता से हम इस जीवन में भक्ति और मोक्ष प्राप्त कर सकें I