18.2.11

Shirdi ke Sai ka Sandesh

"चित्त में द्वैतवाद का अंश भी एकत्व की भावना को पूर्णत: नष्ट करके तुरंत ही भेद-भाव की भावना को जाग्रत कर देता है I वही जन्म-मरण का कारण बन जाती है" I