"जो बिना किसी भेद-भाव के चोकस रह कर संसार में व्यवहार करता है, उसे बिना प्रयास के परमार्थ की प्राप्ति हो जाती है I इसलिये सांसारिक विषयों में लापरवाही और आलस्य नहीं होना चाहिए I पुरषार्थ यानि मानव जीवन के चार उदेश्य के प्रति अरुचि नहीं होनी चाहिए" I