15.2.11

शिर्डी के साईं सन्देश

"जिसने सत्तत्व (यानि ब्रह्म) को समर्पण कर दिया है, वह सभी में एकत्व का अनुभव करता है I और जो द्वैतवाद (माया और ब्रह्म को पृथक-पृथक मानने का सिद्धांत) पर विशवास करते हैं, वे जन्म-मरण के चक्र में फसं जाते हैं" I