17.2.11

शिर्डी के साईं सन्देश

"व्यक्ति स्वभाव से ही स्वयं को ब्रह्म से पृथक मानता है Iअविद्या और मोह के कारण भी कई भूलें कर देता है I इसके अलावा द्वैतवाद के असर में उसका चित्त भ्रमित हो जाता है I परन्तु एकत्त्व का बोध हो जाने पर वह शान्त हो जाता है" I