7.12.10

साईं जो को सप्रेम विनती

बिना ज्ञान के पुजू कैसे , बिना अश्रुदल धोऊ कैसे 
आनंदित दर्शन को तरसे ,नयन हलहल श्रधा जल से
श्री चरणों से बिछड़ी आत्मा आस मिलन की है परमात्मा 
भटकी है अब रह दिखा दो,ह्रदय द्वार  पर दीप जला दो, 
श्री चरणों मे लगन लगा दो, सदबुधी  वैराग्य  दिला दो, 
चरण धोऊ नित अश्रुदल से मन मे ऐसे भक्ति  जगा दो, 
साईं चरणों मे हमें बिठा लो,शरणागत को गले लगा लो 
हे साईं देवा  दासी को अपने चरणों   मे
जगह दो ..

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