31.12.10
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
"जो बाबा को नमन कर अनन्य भाव से उनकी शरण जाता है, उसे फिर कोई साधना करने कि आवश्यकता नहीं है I धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष उसे सहज ही प्राप्त हो जाते हैं I"
30.12.10
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
"तुम्हें अपने शुभ अशुभ कर्मो का फल अवश्य ही भोगना चाहिए I यदि भोग अपूर्ण रह गया तो पुनजन्म धारण करना पड़ेगा, इसलिये मृत्यु से यह श्रेयस्कर है कि कुछ काल तक उन्हें सहन कर पूर्व जन्मों के कर्मों का भोग समाप्त कर सदेव के लिये मुक्त हो जाओ" I
26.12.10
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
"पूर्व जन्मों में संचित आनंद पुण्य कर्मो के बल से अनायास ही जीव को इस नरदेह की प्राप्ति होती है I इसके अलावा जब वह आध्यात्मिक उन्नति भी करता है तो वह उसका सौभाग्य होता है" I
25.12.10
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
"बाबा लीलावतार थे जो दिनोद्वार, दुष्ट निशाचरों के वध और भक्तो की दुर्वासनाओ को नष्ट करने के लिए प्रकट हुए थे"I
24.12.10
23.12.10
22.12.10
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
साईं नाथ जी को और क्या चाहिए
केवल दो हाथ, एक माथा,दृढ़ श्रद्धा और अनन्य भक्ति,
भगत की कृतज्ञता ही उनके लिए पर्याप्त है |
एक विचार
जब दुर्भाग्य हों तो चमड़ी मोटी रखो ! सुनो सब की , मगर जबान पर नियंत्रण रखो और मजाक उड़ाने वालो को ज्यादा तवाजो मत दो ! सोचो यह समय भी गुजर जाएगा अच्छे दिन आ कर चले गए तो बुरे दिन भी चले जायेगे !
21.12.10
SHIRI SAI 108 NAM JAP
- OM sri Sai Nathaaya namaha
20.12.10
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
"केवल संतो का प्रेमावलोकन, संतप्रसाद और उनके आशीर्वचन ही समस्त व्याधियों को हर सकते हैं, इनके अलावा अन्य किसी भी आवश्यकता नहीं पड़तीं"I
19.12.10
माँ-बाप को भूलना नहीं||
माँ-बाप को भूलना नहीं||
भूलो सभी को मगर, माँ-बाप को भूलना नहीं।
उपकार अगणित हैं उनके, इस बात को भूलना नहीं।।
पत्थर पूजे कई तुम्हारे, जन्म के खातिर अरे।
पत्थर बन माँ-बाप का, दिल कभी कुचलना नहीं।।
मुख का निवाला दे अरे, जिनने तुम्हें बड़ा किया।
अमृत पिलाया तुमको जहर, उनको उगलना नहीं।।
कितने लड़ाए लाड़ सब, अरमान भी पूरे किये।
पूरे करो अरमान उनके, बात यह भूलना नहीं।।
लाखों कमाते हो भले, माँ-बाप से ज्यादा नहीं।
सेवा बिना सब राख है, मद में कभी फूलना नहीं।।
सन्तान से सेवा चाहो, सन्तान बन सेवा करो।
जैसी करनी वैसी भरनी, न्याय यह भूलना नहीं।।
सोकर स्वयं गीले में, सुलाया तुम्हें सूखी जगह।
माँ की अमीमय आँखों को, भूलकर कभी भिगोना नहीं।।
जिसने बिछाये फूल थे, हर दम तुम्हारी राहों में।
उस राहबर के राह के, कंटक कभी बनना नहीं।।
धन तो मिल जायेगा मगर, माँ-बाप क्या मिल पायेंगे ?
भूलो सभी को मगर, माँ-बाप को भूलना नहीं।
उपकार अगणित हैं उनके, इस बात को भूलना नहीं।।
पत्थर पूजे कई तुम्हारे, जन्म के खातिर अरे।
पत्थर बन माँ-बाप का, दिल कभी कुचलना नहीं।।
मुख का निवाला दे अरे, जिनने तुम्हें बड़ा किया।
अमृत पिलाया तुमको जहर, उनको उगलना नहीं।।
कितने लड़ाए लाड़ सब, अरमान भी पूरे किये।
पूरे करो अरमान उनके, बात यह भूलना नहीं।।
लाखों कमाते हो भले, माँ-बाप से ज्यादा नहीं।
सेवा बिना सब राख है, मद में कभी फूलना नहीं।।
सन्तान से सेवा चाहो, सन्तान बन सेवा करो।
जैसी करनी वैसी भरनी, न्याय यह भूलना नहीं।।
सोकर स्वयं गीले में, सुलाया तुम्हें सूखी जगह।
माँ की अमीमय आँखों को, भूलकर कभी भिगोना नहीं।।
जिसने बिछाये फूल थे, हर दम तुम्हारी राहों में।
उस राहबर के राह के, कंटक कभी बनना नहीं।।
धन तो मिल जायेगा मगर, माँ-बाप क्या मिल पायेंगे ?
18.12.10
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
केवल कर्मो को भोगने पर ही उनका अंत होगा I जन्म जन्मांतर यह पुर्णतः निशिचत हैं I जब तक हम अपने कर्मो को न भोग ले तब तक अन्य कोई उपाय निव्रत्तिदायक नहीं हैI
17.12.10
Swami Sivananda
Refrain from injury to all creatures in
thought, word and deed. Be kind and
charitable. Free yourself from anger, hatred
and malice. Happiness results from good acts.
Everything can be attained by righteousness.
अपने विचारों, शब्दों या कार्य से किसी भी प्राणिमात्र को
पीड़ित करने से बचे। उदार और दयालु बनो| स्वयं कों क्रोध, ईर्ष्या और घृणा से दूर रखो| अच्छे कार्यों से ही खुशी मिलती है, सही तरीके से सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है।
thought, word and deed. Be kind and
charitable. Free yourself from anger, hatred
and malice. Happiness results from good acts.
Everything can be attained by righteousness.
अपने विचारों, शब्दों या कार्य से किसी भी प्राणिमात्र को
पीड़ित करने से बचे। उदार और दयालु बनो| स्वयं कों क्रोध, ईर्ष्या और घृणा से दूर रखो| अच्छे कार्यों से ही खुशी मिलती है, सही तरीके से सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है।
16.12.10
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
"व्याधि (रोग) अपने साथ भयंकर पीड़ा और कष्ट लाता है, परन्तु संत अपनी करुण द्रष्टि से बिना दुःख और कष्ट भोगे, रोग को नष्ट कर देते हैं"I
15.12.10
Sri Paramahansa Yogananda
Never try to deceive others. A fake rose can
never be a real rose. And a real rose will shed
its fragrance no matter how much it is crushed.
If you egoistically display yourself before others,
the world will eventually cast you aside. And don’t
try in any way to deceive God, for in the false notion
that you can fool Him you only deceive yourself.
दूसरों को धोखा देने की कोशिश ना करें| एक नकली गुलाब
कभी असली नहीं हो सकता और असली गुलाब कितना भी
कुचला जाए वह खुशबू ही देता है। यदि आप दूसरों के सामने स्वयं को अभिमान पूर्वक प्रदर्शित करते है तो लोग आपको परे कर देते है| और किसी भी तरह से भगवान को धोखा देने की कोशिश ना करे| जब आप ऐसा सोचते है कि आप उसे बेवकूफ बना सकते है तो आप केवल अपने को धोखा देते हैं|
never be a real rose. And a real rose will shed
its fragrance no matter how much it is crushed.
If you egoistically display yourself before others,
the world will eventually cast you aside. And don’t
try in any way to deceive God, for in the false notion
that you can fool Him you only deceive yourself.
दूसरों को धोखा देने की कोशिश ना करें| एक नकली गुलाब
कभी असली नहीं हो सकता और असली गुलाब कितना भी
कुचला जाए वह खुशबू ही देता है। यदि आप दूसरों के सामने स्वयं को अभिमान पूर्वक प्रदर्शित करते है तो लोग आपको परे कर देते है| और किसी भी तरह से भगवान को धोखा देने की कोशिश ना करे| जब आप ऐसा सोचते है कि आप उसे बेवकूफ बना सकते है तो आप केवल अपने को धोखा देते हैं|
14.12.10
Guru Nanaka
प्रत्येक व्यक्ति को भगवद-भजन और मानवता की सेवा से अपने ह्रदय को शुद्ध करना चाहिए, ईश्वर की इच्छा के अनुरूप बिना भुनभुनाए अपने जीवन को जीना चाहिए| उसकी इच्छा को ही अपनी इच्छा माने| असीम के साथ तादात्म्य बनाए रखे| इसके अतिरिक्त और कोई रास्ता नहीं है|
13.12.10
ॐ साईं राम,
"साईं की लीला सुने,कर साईं का ध्यान,
भगति सद्गुरु साईं की,त्याग सकल अभिमान"
"साईं राम मेरा सत्य गुरु"
11.12.10
Sri Paramahansa Yogananda
किसी भी परिस्थिति में दूसरों को यह मौक़ा न दें कि वह आपको इतना क्रोधित कर सके कि आप कुछ ऐसा कर बैठें कि बाद में पश्चाताप करना पड़े। बहुत से लोग जो क्रोध में अपना नियंत्रण खो बैठते है वे बाद में पछताते हैं कि उन्होंने क्या कर दिया| जो व्यक्ति अपने संवेगों पर नियंत्रण नहीं रख पाते, वे स्वयं के सबसे बड़े शत्रु हैं| जब आपको कोई पागल (क्रोधित) कर देता है इसका अर्थ यह है कि आपके अंदर की कोई ईच्छा अवरोधित हो रही है, अन्यथा कोई भी आपको क्रोधित नहीं कर सकता|
10.12.10
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
वे (साईं बाबा ) न तो किसी जानवर की बलि चाहते थे और न ही चढ़ावे में धन की कामना करते थे I उन्हें तो सच्चे प्रेम, श्रद्धा और विशवास की भूख थी, जिसके होने पर उनके सभी कष्ट नष्ट हो सकते थे I
9.12.10
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
"मूर्ति, वेदी, अग्नि, प्रकाश, सूर्य, जल और द्विज (ब्रह्मण) आदि सप्त पवित्र उपासना की वस्तुएं होते हुए भी गुरु की उपासना ही इन सभी में श्रेष्ट है,इसलिए अनन्य भाव से उनका पूजन करें"I
7.12.10
साईं जो को सप्रेम विनती
बिना ज्ञान के पुजू कैसे , बिना अश्रुदल धोऊ कैसे
आनंदित दर्शन को तरसे ,नयन हलहल श्रधा जल से
श्री चरणों से बिछड़ी आत्मा आस मिलन की है परमात्मा
भटकी है अब रह दिखा दो,ह्रदय द्वार पर दीप जला दो,
श्री चरणों मे लगन लगा दो, सदबुधी वैराग्य दिला दो,
चरण धोऊ नित अश्रुदल से मन मे ऐसे भक्ति जगा दो,
साईं चरणों मे हमें बिठा लो,शरणागत को गले लगा लो
हे साईं देवा दासी को अपने चरणों मे
जगह दो ..
dimple
आनंदित दर्शन को तरसे ,नयन हलहल श्रधा जल से
श्री चरणों से बिछड़ी आत्मा आस मिलन की है परमात्मा
भटकी है अब रह दिखा दो,ह्रदय द्वार पर दीप जला दो,
श्री चरणों मे लगन लगा दो, सदबुधी वैराग्य दिला दो,
चरण धोऊ नित अश्रुदल से मन मे ऐसे भक्ति जगा दो,
साईं चरणों मे हमें बिठा लो,शरणागत को गले लगा लो
हे साईं देवा दासी को अपने चरणों मे
जगह दो ..
dimple
6.12.10
Sai Bhajan Kirtan & Jugalbandi 11 December'2010
You are cordialy invited on
13th annversary of Paracheen Sai Dham Mandir
on dated 11 December'2010, 4:00 PM onwards
at Sirifort Auditorium.
Bhandara 10:00 PM.
(Bhandara Vitarn by Shirdi Sai Rasoi)
All Shree Sai Devotees with family and friends are
requested to be a part of our grand success and get blessed by
"Shree Sai Baba ji"
4.12.10
ॐ सांई राम
ॐ सांई राम
आओ आओ साईंनाथ
आओ आओ हे जगन्नाथ
आओ आओ साईंनाथ
दर्शन के लिए तरस रहे है
नयन हमारे ओ साईं
दर्ष दिखाओ दया के सागर
आओ शंकर हे परमेश्वर
Please come, Sai, Lord of the Universe, our eyes are eager to see Your divine form. O Lord Shankara, the ocean of compassion, grant us Your vision.
आओ आओ साईंनाथ
आओ आओ साईं प्यारे
कीर्तन करू मैं साईं तुम्हारे
आओ आओ साईं प्यारे
तुम हो मेरे नयनो के तारे
दर्शन दो जीवन के सहारे
Please come, beloved Sai, let me sing your glory.
O Supreme Lord, You are the support of my life and the
shining star of my eyes.
कीर्तन करू मैं साईं तुम्हारे
आओ आओ साईं प्यारे
तुम हो मेरे नयनो के तारे
दर्शन दो जीवन के सहारे
Please come, beloved Sai, let me sing your glory.
O Supreme Lord, You are the support of my life and the
shining star of my eyes.
आओ गोपाला गिरिधारी
आओ आओ अंतर्यामी
आओ आओ आनंदा साईं
आओ गोपाला गिरिधारी
आओ आओ आत्मानिवासी
आओ आओ शांति निवासी
Come, O Gopala! You held up the mountain Govardhana
to save Your devotees. We welcome You the indweller of our
hearts. Lord Sai, You reside in the abode of peace and grant bliss.
आओ प्यारे नयन हमारे
साईं हमारे आओ
तुम बिन कोई नहीं रखवाले
तुम बिन कौन सहारे (बाबा)
आओ साईं प्यारे
साईं हमारे आओ
Please come our beloved Lord Sai! You are as precious
as our eyes. Without You, there is no one to
protect us. Who but You can support us, O Beloved Sai?
तुम बिन कोई नहीं रखवाले
तुम बिन कौन सहारे (बाबा)
आओ साईं प्यारे
साईं हमारे आओ
Please come our beloved Lord Sai! You are as precious
as our eyes. Without You, there is no one to
protect us. Who but You can support us, O Beloved Sai?
आओ साईं नारायण दर्शन दीजो
तुम हो जगत विधाता
तुम्ही हो ब्रह्मा तुम्ही हो विष्णु
तुम्ही हो शंकर रूप
तुम्ही हो राम तुम्ही हो कृष्ण
तुम्ही हो विश्व विधाता
Welcome Sai Narayana, Creator of the Universe.
Grant us your Darshan. You are none other than Lord Rama,
Krishna, Vishnu, Brahma and Shankara.
तुम हो जगत विधाता
तुम्ही हो ब्रह्मा तुम्ही हो विष्णु
तुम्ही हो शंकर रूप
तुम्ही हो राम तुम्ही हो कृष्ण
तुम्ही हो विश्व विधाता
Welcome Sai Narayana, Creator of the Universe.
Grant us your Darshan. You are none other than Lord Rama,
Krishna, Vishnu, Brahma and Shankara.
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श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
"गुरु के शब्दों मे विशवास कर उन्हें सर्वसंकल्प का आसन अर्पण करें और उनके पूजन का संकल्प करके समस्त इच्छाओं का त्याग करें"I
1.12.10
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
"साईं समस्त प्राणियों मे ब्रह्म या स्वयं ईशवर का दर्शन किया करते थे,मित्र और शत्रु को एक नज़र से देख, उनमे भेदभाव नहीं करते थे" I
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