"यह मस्जिद माई किसी का ऋण नहीं रखती, जो इसकी गोद में बैठता है,यह माँ की तरह उसे दुलारती है,फिकर मत करना मै नहीं रहूँगा,मेरी द्वारका माई तुम्हारे समस्त इच्छाए पूरण करेगी,मेरी गोद मै बैठना है तो द्वारकामाई कीगोद मे बैठ,मेरे साथ रहना है तो मेरे भिक्षा पात्र (जो आज भी द्वारकामाई मे रखा है) से निवाला
उठा कर खा,मुझे साथ बैठाना है तो किसी गरीब को पास बैठा"