......तुम्हारा कोई कुछ छीन नहीं लेगा, तुम अपने स्वरूप को पहचानो ......तुम चैतन्य आत्मा हो ! अनित्य है तो यह शरीर और नित्य है यह आत्मा ; मिटने वाला तत्व तो है शरीर और जो मिटने वाला है उसकी चिंता क्यों करते हो --
आएगी जाएगी मिलेगी छूटेगी ----संसार है ही संयोग तथा वियोग का स्वरूप ! ! !