एक दिन बाबा ने राधाकृषणमाई के घर के समीप आकर एक सीढ़ी लाने को कहा. तब एक भक्त सीढ़ी ले आया और उनके बतलाये अनुसार वामन गोंदकर के घर पर उसे लगाया. बाबा उनके घर पर चढ़ गए और राधाकृष्णमाई के छप्पर पर से होकर दुसरे छोर से नीचे उतर आये .इसका अर्थ किसी को समझ में नहीं आया राधाकृष्णमाई इस समय ज्वर से काँप रही थी इसलिए हो सकता है की उनका ज्वर दूर करने के लिए ही उन्होंने ऐसा किया हो. नीचे उतरने के पश्चात शीघ्र ही उन्होंने सीढ़ी लाने वाले को दो रुपैये पारिश्रमिक स्वरुप दिए. तब एक व्यक्ति ने साहस कर उनसे पुछा की इतने अधिक पैसे देने का क्या अर्थ रखता है ? तब बाबा ने कहा " किसी से बिना उसके परिश्रम का मूल्य चुकाए कार्य न करना चाहिए और कार्य करने वाले को उसके श्रम का शीघ्र निपटारा कर उदार ह्रदय से मजदूरी देनी चाहिए." ....... ॐ साईं राम