28.11.10

श्री साईं सच्चरित्र संदेश,

"जीव स्वत्रंत नहीं है,कर्मो की कड़ी उसका पीछा करती है, कर्मो का खेल भी विचित्र है, जो प्राणी के जीवन को धागों से खीचते है I"