29.11.10
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
"रोग और स्वास्थ्य क्या है ? जब तक व्यक्ति के पाप और पुण्य का अंत न हो, या जब तक वह अपने कर्मो को न भोग ले, तब तक कोई अन्य उपाय काम में नहीं आता I"
28.11.10
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
"जीव स्वत्रंत नहीं है,कर्मो की कड़ी उसका पीछा करती है, कर्मो का खेल भी विचित्र है, जो प्राणी के जीवन को धागों से खीचते है I"
27.11.10
Swami Sivananda
जिनका ह्रदय पवित्र है, वे भाग्यशाली हैं, क्योंकि उन्हें भगवत्प्राप्ति होगी। ईश्वर आपके ह्रदय में विराजमान है लेकिन दुर्भाव का पर्दा ईश्वर को आपकी द्रष्टि से दूर कर देता है| आप इस पर्दे को दूर करने का प्रयास करे| अपने ह्रदय से इस दुर्भाव को दूर कर दें| और तब तुम अभी और यहीं ईश्वर को पूरे प्रकाश और प्रभाव के साथ अनुभव कर पाओगे| वे भाग्यशाली हैं जिन्हें ईश्वरीय द्रष्टि प्राप्त है, वे ईश्वर-किरपा को सम्पूर्ण विश्व में प्रसारित कर देंगे|
26.11.10
Sri Paramahansa Yogananda
"जो व्यक्ति हमेशा दूसरों में दोष देखता है सामान्यत: उसका अपने विषय में कोई उच्च भाव नहीं होता| ऐसे व्यक्ति अपने अंदर स्थित समरसता केंद्र से अनजान होते हैं| कोई आश्चर्य नहीं ऐसे व्यक्ति जहां भी जाते हैं केवल विसंगतियाँ ही देखते हैं| धन-संपत्ति और अन्य पदार्थों में कोई सुख नहीं है जब तक आपके मस्तिष्क में शान्ति और समरसता ना हो| जिसके अपने ह्रदय में शान्ति नहीं उसे अन्य किसी जगह शान्ति नहीं मिल सकती|"
25.11.10
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
"अपने ध्येय की प्राप्ति के लिए भूतकाल के घटनाक्रम तथा आने वाली परिस्थिती का ख्याल कर कार्य करते रहो; विधि के विधान के अनुरूप आचरण करो I नित्य संतुष्ट रहो I कभी भी चिन्ता और व्याकुलता को अपने मे पनपने न दो I"
24.11.10
Sri Paramahansa Yogananda
जब आप अपनी खुशी के बारे में सोचते हैं, दूसरों को खुशियां देने के विषय में भी सोचें| इसका अर्थ यह नहीं है कि आप् संसार के लिए सब कुछ छोड दें| यह असंभव है|लेकिन तुम्हें दूसरों के लिए सोचना अवश्य चाहिए|
23.11.10
22.11.10
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
जहाँ स्नेहपूर्ण प्रेमभक्ति होती है, जहाँ बाबा के साथ प्रेमपूर्ण लगाव होता है, यथार्थ मे केवल वही प्रेम की तीव्र इच्छा प्रकट होती है I वास्तव मे केवल वहीँ उनकी कथाओं के श्रवण से प्राप्त होने वाले परमानंद को देखा जा सकता है I
21.11.10
18.11.10
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
"जिसने अपनी बुद्धि ब्रह्म मे स्थिर कर ली हो, उसे स्वत: ही साक्षात्कार का अनुभव हो जाता है I ऐसे महात्मा केवल अपनी दृष्टी की शक्ति से ही उन पापों पर विजय प्राप्त कर लेते है, जिन्हें जीत पाना असंभव होता है I"
16.11.10
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
महान योगियों के केवल दृष्टीपात से नास्तिक तक पापमुक्त हो जाते हैं ; तो फिर आस्तिकों के क्या कहने ? उनके पाप तो सहज ही नष्ट हो जाते हैं I
15.11.10
साईं वचन
"जो मुझमें श्रद्धा ला कर मेरा चिन्तन करता हैं , उसके समस्त कार्य तो मैं करता ही हूँ -- मैं उसे मोक्ष भी प्रदान करता हूँ"
11.11.10
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
साईं के दर्शन मात्र का ऐसा प्रताप है कि वह हमें हमारे पापों से मुक्त कर देते हैं, जिससे हमें इस जीवन मे और आगे इस संसार के उच्चतम सुखों कि भरपूर मात्रा मे प्राप्ति हो जाती है I
10.11.10
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
ॐ साईं राम,
"मधुर कथा साईं कहे, शिक्षा हम पा जाएँ,
"मधुर कथा साईं कहे, शिक्षा हम पा जाएँ,
जैसा भी जो बोयेगा, वही काटता जाए,
साईं जी अपनी कृपा दृष्टि रखना जी
8.11.10
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
"चाहे किसी का कोई भी गुरु हो, व्यक्ति को अपने गुरु मे दृढ़ विशवास होना चाहिए I उसे किसी दुसरे मे ऐसा विशवास नहीं रखना चाहिए I इस शिक्षा को हमे अपने ह्रदय मे दृढ़ता से बसा लेना चाहिए I"
2.11.10
1.11.10
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
इस सर्वमान्य सिध्दांत के अनुसार संत वचन कभी भी नि:सार नहीं होते I उनका ध्यान पूर्वक मनन करने पर उनसे गहन व महत्वपूर्ण विषय प्रकाशित होते हैं I
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