25.6.10

श्री साईं सच्चरित्र संदेश

"जहाँ अनन्य भाव से गुरु की सेवा होगी, वहां सांसारिक जीवन के दुःख और कष्टों का बिनाश हो जाएगा I फिर न्याय अथवा मीमांसा या दर्शनशास्त्र आदि और अन्य बोद्धिक प्रयतन की भी कोई आवश्यकता नहीं होती"