9.9.10

श्री साईं सच्चरित्र संदेश,

जिसका ह्रदय ब्रह्म मे लीन हो गया है, जो संसार के प्रपंचो से निर्वृत्त हो गया है, जो निर्त्य के सांसारिक प्रपंचो से मुक्त हो गया है, वह ब्रह्म से एकत्व स्थिति का अनुभव करता है और केवल वह ही आनंदमूर्ति है I