"तुम्हें अपने कर्तव्य को बहुत कुशलता से पूरा करना चाहिए तुम जो भी कार्य करो उसे विधिवत और दक्षता से करो अहंकार को त्याग दो और अपने कर्तव्य को सम्मान, पैसा और प्रशंसा के लिए नही वरन अपनी आतंरिक इंद्रियों को शुद्ध करने के लिए करो ताकि भगवदभक्ति का विकास हो सके |