साईं समस्त प्राणियों मे ब्रह्म या स्वयं ईशवर का दर्शन किया करते थे; मित्र और शत्रु को एक नज़र से देख, उनमे भेदभाव नहीं करते थे I
"He who look at everything and at all creatures as Brahman itself, who looks upon friends and foes with equality and who does not discriminate the least,"