साईं महाराज ही परमानंद और परम शांति के आधार हैं I मैं शुद्ध और अहंकारहित चित्त से और भक्ति भाव के साथ उन्हें प्रणाम करता हूँ I
"Sai Maharaj is the treasure of peace. He is the adobe of pure and heavenly bliss. I prostrate myself to him, who is without ego and who is unsullied (undefiled)."