5.7.10

श्री साईं सच्चरित्र संदेश,

जिसकी भावना हो की "में ब्रह्म हूँ " जो अखंड आनंद की मूर्ति हो, जो निविर्कल्प चित्त स्थिति को प्राप्त कर चुका हो, ऐसे व्यक्ति मे संन्यास और आत्मत्याग की भावना शरण ले लेती है I

His whole nature is one with Brahman. He is the embodiment of permanent bliss; his mind is without any doubts. He is the incarnation of resignation (denial of pleasures).