31.3.11

"श्री सच्चिदानन्द सदगुरु साईनाथ महाराज की जय"

"प्रेम तथा भक्तिपूर्वक अर्पित किया गया फूल और पान भी उनके द्वारा सहर्ष स्वीकार कर लिया जाता था I परन्तु अगर वह अहंकारसहित भेंट की जाती थी, तो वे तुरंत अस्वीकार कर देते थे"I

16.3.11

शिर्डी के साईं सन्देश

"मै तुम्हारे ह्रदय मे विराजमान हूँ, तुम्हे नित्य मेरी उपासना करनी चाहिए I सभी जीवित प्राणियों के ह्रदय में, केवल मै ही व्याप्त हूँ" I

15.3.11

शिर्डी के साईं सन्देश

ईशवर के नाम का आसरा ले सब मुश्किल अपने आप हल हो जायेंगी !

9.3.11

शिर्डी के साईं सन्देश

"चाहे इस संसार में तुम कही भी जाओ, में हर जगह तुम्हारे साथ ही जाता हूँ I तुम्हारा ह्रदय ही मेरा घर है; में तुम्हारे अंत:करण में निवास करता हूँ" I

8.3.11

शिर्डी के साईं सन्देश

"प्रेम बिना भजन, बिना अर्थ समझे ग्रंथो का उच्चारण और पठन - पाठन किस काम का? और बिना श्रद्धाभाव के देवता कहाँ ? क्या इनके अभाव में सभी प्रयत्न  सारहीन और व्यर्थ नहीं होते" ?

7.3.11

शिर्डी के साईं सन्देश

"परम दयालु साईं समर्थ अपने भक्तों के हित के लिए ही दक्षिणा माँगा करते थे I इस प्रकार वे उन्हें आत्मत्याग की शिक्षा देते थे" I

6.3.11

शिर्डी के साईं सन्देश

"कुमकुम तिलक-विहीन मस्तक, अनुभव विहीन ज्ञान, सभी व्यर्थ होते है I ये पुस्तकीय ज्ञान के बोल नहीं हैं I स्वयं इनके सत्य का अनुभव करो और फिर फैसला  करो" I

5.3.11

शिर्डी के साईं सन्देश

"यधपि में शरीर से तो यहाँ हूँ और चाहे तुम सात समुन्द्रो के पार भी हो; फिर भी जो तुम वहां करते हो, मुझे उसी क्षण उसका ज्ञान हो जाता है" I   

4.3.11

शिर्डी के साईं सन्देश

"तुम सब चाहे कहीं भी हो, जैसी भक्ति तुम्हारी होगी, उसी भाव से में दिन- रात तुम्हारी रक्षा करूँगा" I

3.3.11

शिर्डी के साईं सन्देश

"साईं महाराज ज्ञान का भण्डार हैं I मस्जिद में बैठकर, उन्हें भूत, भविष्य और वर्तमान का पूर्ण ज्ञान था, चाहे वह संसार के किसी भाग में घटित क्यों न हो रहा हो" I

2.3.11

शिर्डी के साईं सन्देश

"जान लो कि काम, क्रोध और लोभ, नर्क को जाने के तीन द्वार हैं, जो आत्मविनाश की और अग्रसर करते है I इसलिए सतर्कतापूर्वक इनका त्याग करना चाहिए" I

1.3.11

शिर्डी के साईं सन्देश

"काम, क्रोध और लोभ आत्म-उन्नति के लिए अशुभ हैं I इनको जीत पाना अति दुर्लभ है"I