सदगुरु तो केवल भक्तो का भक्ति भाव और विशवास देखकर ही उन्हें ज्ञान दे देते हैं I उसे समझना इतना सरल हो जाता है, मानो वह आपकी हथेली में ही रखा हो और वे मोक्ष की प्राप्ति भी करा देते हैं I जिसके लक्षण परमानन्द की अनुभूति होना हैं I
"When he sees the faith and devotion of the devotees, he gives the wealth of happiness due to moksha in the palm of the hands most easily."