बाबा स्वयं में आनंद-मग्न व तल्लीन थे I वे यथार्थ में अखण्ड सच्चिदानंद थे I मै उनकी महानता और अद्वितीयता का वर्णन कैसे कर सकता हूँ ? जो भी साईं के चरण कमलो की शरण लेगा, उसका विशवास उनमे द्रढ़ हो जायेगा और उसे आत्म साक्षात्कार की प्राप्ति होगी I
(CI 28 Adhaya 07 Sai Sachitra Dr R.N.Kakria)